संदेह होने पर जब पुलिस ने उनसे पूछताछ की तो धीरेंद्र व्यास ने कहा कि अशोक शाह किसी वित्तीय ठगी के शिकार हैं और भरत मन्न ने ही कमिश्नर से मिलने का समय तय करवाया है, लेकिन जब अधिकारियों ने जांच की तो पता चला कि किसी भी केंद्रीय मंत्री के पास भरत मन्न नाम का कोई पीए नहीं है.
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